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Showing posts from May, 2018

peeyush sharma at hirdu kavyashala

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आज मिलते हैं शाहजहाँपुर (उ.प्र) के बहु-चर्चित युवा  कवि एवं शायर पीयूष शर्मा से... पेश - ए - ख़िदमत है पीयूष जी की एक ग़ज़ल... दिया जलता रहा... उठ गई महफिल दिया जलता रहा। ये तमाशा रात भर चलता रहा।।   हो गये रूखसत पुराने सिलसिले, वह नये अन्दाज़ से मिलता रहा।।   देखकर मेरी तड़प को माहताब, ज़र्द रू होता रहा ढलता रहा।।   गैर के घर भी उजाला हो गया, मैं चिरागों की तरह जलता रहा।। - पीयूष शर्मा  हिर्दू काव्यशाला से जुड़ें -   शिवम् शर्मा ' गुमनाम ' सह-संस्थापक   संतोष शाह   सह-संस्थापक संपर्क सूत्र - 9889697675, 8299565686 विशेष - उजास सोशल एंड कल्चरल सोसाइटी लाए हैं ... एक बार फिर... AURA AWARDS दिनांक- 17-जून-2018 स्थान - रागेंद्र स्वरुप ऑडीटोरियम, सिविल लाइंस, कानपुर

sunil jogi at hirdu kavyashala

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आज की मुलाक़ात मशहूर हास्य कवि ,  हिन्दुस्तानी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष, राज्य मंत्री (उ.प्र. सरकार) एवं रेलवे और संसदीय कार्य मंत्रालय के हिन्दी सलाहकार पद्मश्री सुनील जोगी जी से... जोगी जी के संबंध में ज़्यादा कुछ कहना स्वयं में हास्यास्पद होगा... आइये आनंद लेतें हैं एक खूबसूरत से बहु-चर्चित हास्य गीत का.. .   " ये प्यार नहीं है खेल प्रिये"... पद्मश्री डा. सुनील जोगी मुश्किल है अपना मेल प्रिये , ये प्यार नहीं है खेल प्रिये , तुम एम ए फ़र्स्ट डिवीज़न हो , मैं हुआ मैट्रिक फेल प्रिये , मुश्किल है अपना मेल प्रिये , ये प्यार नहीं है खेल प्रिये... तुम फ़ौजी अफ़सर की बेटी , मैं तो किसान का बेटा हूँ , तुम राबड़ी खीर मलाई हो , मैं तो सत्तू सप्रेटा हूँ , तुम ए. सी. घर में रहती हो , मैं पेड़ के नीचे लेटा हूँ , तुम नई मारुति लगती हो , मैं स्कूटेर लंबरेटा हूँ , इस कदर अगर हम चुप-चुप कर आपस मे प्रेम बढ़ाएँगे , तो एक रोज़ तेरे डैडी अमरीश पुरी बन जाएँगे , सब हड्डी पसली तोड़ मुझे भिजवा देंगे वो जेल प्रिये , मुश्किल है अपना मेल प्रिये , ये प्यार ...