peeyush sharma at hirdu kavyashala

आज मिलते हैं शाहजहाँपुर (उ.प्र) के बहु-चर्चित युवा  कवि एवं शायर पीयूष शर्मा से... पेश - ए - ख़िदमत है पीयूष जी की एक ग़ज़ल...


दिया जलता रहा...

उठ गई महफिल दिया जलता रहा।
ये तमाशा रात भर चलता रहा।।

 
हो गये रूखसत पुराने सिलसिले,
वह नये अन्दाज़ से मिलता रहा।।

 
देखकर मेरी तड़प को माहताब,
ज़र्द रू होता रहा ढलता रहा।।

 
गैर के घर भी उजाला हो गया,
मैं चिरागों की तरह जलता रहा।।

- पीयूष शर्मा 

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विशेष -
उजास सोशल एंड कल्चरल सोसाइटी
लाए हैं ...
एक बार फिर...

AURA AWARDS

दिनांक- 17-जून-2018

स्थान - रागेंद्र स्वरुप ऑडीटोरियम,

सिविल लाइंस, कानपुर

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