peeyush sharma at hirdu kavyashala
आज मिलते हैं शाहजहाँपुर (उ.प्र) के बहु-चर्चित युवा कवि एवं शायर पीयूष शर्मा से... पेश - ए - ख़िदमत है पीयूष जी की एक ग़ज़ल...
दिया जलता रहा...
उठ गई महफिल दिया जलता रहा।ये तमाशा रात भर चलता रहा।।
हो गये रूखसत पुराने सिलसिले,
वह नये अन्दाज़ से मिलता रहा।।
देखकर मेरी तड़प को माहताब,
ज़र्द रू होता रहा ढलता रहा।।
गैर के घर भी उजाला हो गया,
मैं चिरागों की तरह जलता रहा।।
- पीयूष शर्मा
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