hirdu kavyashala


हिर्दू काव्यशाला का गठन हिंदी – उर्दू भाषाओं के विकास के लिए किया गया है। यह एक अव्यवसायिक संस्था है। हिर्दू का उद्देश्य घर – घर हिंदी और उर्दू को लेकर जाना है। एक तरफ जहाँ हिंदी और उर्दू दुनिया में सबसे ज़्यादा बोले जाने वाली भाषाओं में से हैं, मगर एक सच यह भी  है कि हमारे ही हिंदुस्तान में हिंदी या उर्दू बोलने वाले लोगों को अनपढ़ समझा जाता है ऐसा क्यों ? जो हिंदी  में बोलता है या अपनी बात कहने के लिए उर्दू का दामन थाम लेता है वो कम पढ़ा लिखा कैसे हुआ ?
हम अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, चायनीज़ या अन्य भाषाएं बोलते हैं। बहुभाषी होना अच्छी बात है, मगर अपनी भाषा को कमतर आंकना कहाँ की समझदारी हुई ? भारतेंदु हरिश्चंद्र जी भी अपने दोहे के माध्यम से कहते हैं –   
"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति के मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।"
अगर हमें ज़माने के साथ चलना है तो आज हर भाषा ज़रूरी है मगर इसका मतलब ये कहाँ हुआ कि हम अपनी मूल भाषाओँ को पीछे छोड़ दे ?
उपयुक्त विषय लेकर हम चल पड़े है रास्ता आसान नहीं है मगर हमें खुद पर पूरा विश्वास है जब तक मंज़िल नहीं मिल जाती न तो हम रुकेंगे और न ही थकेंगे और अपनी मंज़िल पर पंहुच कर ही दम लेंगे।

कार्य क्षेत्र –

(2)     यू-ट्यूब चैनल
(4)     मोहल्ला सभा
(5)     भाषा संगोष्ठियाँ


Comments

  1. बहुत अच्छा प्रयास है भारत् की सभी बोलियों भाषाओं का समन्वयन ही सामाजिक समरसता को बढ़ा सकता है ~आप सब को बधाई
    इस प्रयास में मेरा भी कुछ योगदान सम्भव हो तो अवश्य बताएं
    Shrihari wani ~09450144500

    ReplyDelete
  2. ग्रेट वर्क।

    ReplyDelete
  3. ग्रेट वर्क।

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

lakho sadme dhero gham by azm shakiri

Bahut khoobsurat ho tum by tahir faraz at hirdu

Agnivesh shukla at hirdu kavyashala