aslam rashid at hirdu kavyashala
रू-ब-रू होते हैं उर्दू अदब के बा-कमाल शायर जनाब असलम राशिद साहब से...
ग़ज़ल - हमारी जान जाना चाहती है...
मुझे दरिया बनाना चाहती है।
ये दुनिया डूब जाना चाहती है।।
हमारी नींद की हसरत तो देखो,
तुम्हें तकिया बनाना चाहती है।।
तुम्हारी याद सहरा के सफ़र में,
हमारे साथ आना चाहती है।।
सितारो कौन उतरा है ज़मीं पर,
नज़र क्यूँ सर झुकाना चाहती है।।
समुंदर से कोई इतना तो पूछे,
नदी क्यूँ सूख जाना चाहती है।।
हमारी जान का सदक़ा उतारो,
हमारी जान जाना चाहती है।।
- असलम राशिद
Waahhhh
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