hotho par muskan liye hoon by kamlesh dwivedi at hirdu
आज मिलते हैं देश
के जाने माने हास्य व्यंग्यकार कवि, गीतकार एवं ग़ज़लकार डा. कमलेश द्विवेदी जी से...
पेश – ए – ख़िदमत है डा. साहब की एक ग़ज़ल...
हमको पीर
छिपानी भी है।
अपनी बात बतानी भी है।।
ख़ुश भी हूँ उसके आने से,
थोड़ी सी हैरानी भी है।।
मैंने जो भी बोला तुमसे,
उसका कोई मानी भी है।।
होठों पर मुस्कान लिए हूँ,
पर आँखों में पानी भी है।।
दिल की बात जुबां से कह दी,
अब कर के दिखलानी भी है।।
सबको भाती मेरी ग़ज़लें,
लेकिन वो दीवानी भी है।।
मेरे बारे में वो बोले,
उसका कोई सानी भी है।।
हर सूरत जानी-पहचानी,
पर कितनी अनजानी भी है।।
इक तस्वीर हटानी है तो,
इक तस्वीर लगानी भी है।।
एक सरस कविता है जीवन,
उलझी एक कहानी भी है।।
- डा. कमलेश द्विवेदी
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