dheeraj singh chandan at hirdu kavyashala
आज मिलतें हैं देश के मशहूर गीतकार (श्रृंगार) धीरज सिंह "चंदन"
से... अपने ख़ास लहजे से नौजवानों के दिलों में एक ख़ास जगह रखते हैं चंदन
जी...उनके तमाम चाहने वालों के नाम उनका बेहद लोकप्रिय गीत... वो भी पहले
प्यार के लिए...
गीत मै गाऊंगा पहले प्यार के लिए...
सोचता हूँ उम्र का हिसाब जोड़ लूँ,
यादों के बगीचे से गुलाब तोड़ लूँ,
उलझनों की चादर समेट लू ज़रा,
तकिये को सीने से लपेट लू ज़रा,
सोलह बरस की पहचान के लिए,
जान से भी प्यारी उस जान के लिए,
खुशियों के नये संसार के लिए,
गीत मै गाऊँगा ...
किसी अनछुए एहसास के लिए,
बावरे थे किसी की तलाश लिए,
कॉलेज किताबें थीं कहानी के लिए,
पहला कदम था जवानी के लिए,
कुदरत खेल भी दिखाने लगी थी,
सजना संवरना सिखाने लगी थी,
आइनें पे चढ़ते खुमार के लिए,
गीत मै गाऊँगा ...
मूलधन ब्याज के बवालों में पड़े,
मौन थे गणित के सवालों में खड़े,
ख़ामोशी को तोड़ बदनाम हो गये,
आगे वाली सीट के गुलाम हो गये,
रेशम से बालों के शिकार हो गये,
कान की दो बालियों में नैन खो गये,
पल दो पल के दीदार के लिए,
गीत मै गाऊँगा ...
यूँ लगा था जीने वाली राहें मिली थी,
पहली बार उनसे निगाहें मिली थी,
आँखों की शरारत को जान गई थी,
प्यार के इरादे पहचान गई थी,
तन्हाई रात में जलाने लगी थी,
कॉलेज की छुट्टियां सताने लगी थी,
सदियों से लंबे इन्तजार के लिए,
गीत मै गाऊँगा ...
हिम्मत हमारी कारागार में रही,
बोलूँगा मै कुछ वो इन्तजार में रही,
हम दबी चाहतों को खोल न सके,
उससे प्यार करते है बोल न सके,
फूल की बगीचे से विदाई हो गई,
उसकी किसी और से सगाई हो गई,
इस पार रोया उस पार के लिये,
गीत मै गाऊँगा ...
- धीरज सिंह 'चन्दन'
(8400832868, 8299825679)
गीत मै गाऊंगा पहले प्यार के लिए...
सोचता हूँ उम्र का हिसाब जोड़ लूँ,
यादों के बगीचे से गुलाब तोड़ लूँ,
उलझनों की चादर समेट लू ज़रा,
तकिये को सीने से लपेट लू ज़रा,
सोलह बरस की पहचान के लिए,
जान से भी प्यारी उस जान के लिए,
खुशियों के नये संसार के लिए,
गीत मै गाऊँगा ...
किसी अनछुए एहसास के लिए,
बावरे थे किसी की तलाश लिए,
कॉलेज किताबें थीं कहानी के लिए,
पहला कदम था जवानी के लिए,
कुदरत खेल भी दिखाने लगी थी,
सजना संवरना सिखाने लगी थी,
आइनें पे चढ़ते खुमार के लिए,
गीत मै गाऊँगा ...
मूलधन ब्याज के बवालों में पड़े,
मौन थे गणित के सवालों में खड़े,
ख़ामोशी को तोड़ बदनाम हो गये,
आगे वाली सीट के गुलाम हो गये,
रेशम से बालों के शिकार हो गये,
कान की दो बालियों में नैन खो गये,
पल दो पल के दीदार के लिए,
गीत मै गाऊँगा ...
यूँ लगा था जीने वाली राहें मिली थी,
पहली बार उनसे निगाहें मिली थी,
आँखों की शरारत को जान गई थी,
प्यार के इरादे पहचान गई थी,
तन्हाई रात में जलाने लगी थी,
कॉलेज की छुट्टियां सताने लगी थी,
सदियों से लंबे इन्तजार के लिए,
गीत मै गाऊँगा ...
हिम्मत हमारी कारागार में रही,
बोलूँगा मै कुछ वो इन्तजार में रही,
हम दबी चाहतों को खोल न सके,
उससे प्यार करते है बोल न सके,
फूल की बगीचे से विदाई हो गई,
उसकी किसी और से सगाई हो गई,
इस पार रोया उस पार के लिये,
गीत मै गाऊँगा ...
- धीरज सिंह 'चन्दन'
(8400832868, 8299825679)
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