late pramod tiwari at hirdu kavyashala



आज हिर्दू काव्यशाला के वेब मंच (www.hirdukavyashala.com) का शुभारम्भ होना है... आज आशीर्वाद प्राप्त करते हैं उनका जिनकी प्रेरणा से हिर्दू का गठन हुआ... जी हाँ हम बात कर रहे हैं स्म्रतिशेष राष्ट्रीय कवि एवं गीतकार प्रमोद तिवारी जी की...

जन्म-३१/०१/१९६०

जन्म स्थान - कानपुर

प्रमुख कृतियाँ- सलाखों में ख्वाब, मैं आवारा बादल...

प्रतिनिधि गीत/ग़ज़ल- याद बहुत आते हैं गुड्डे-गुड़ियों वाले दिन, टॉफ़ी गीत, अगर देश से प्यार करते हो पंडित, चांदनी में आग लग गयी चाँद जल के रख हो गया...

निधन - ११/०३/२०१८

(वाहन दुर्घटना)


अपने ढंग से जीना छोड़ दिया...

अपनी दुनिया में
अब अपने ढंग से
जीना छोड़ दिया
सबको बहुत शिकायत थी
लो मैंने पीना छोड़ दिया...

छोड़ दिया लहराकर गाना
और झूमना मस्ती में
मझधारों में खूब तैरना
और डूबना कस्ती में
तट केखातिर
बीच भँवर में
फंसा सफीना छोड़ दिया...

सुबह समय पर
सोकर उठना
रात समय पर
सो जाना
और जरूरत के मौके पर
अनायास ही खो जाना
इसकी उसकी
फटी चदरिया
मैंने सीना छोड़ दिया...

भूला दिल की
बोली बानी
होश में हरदम रहता हूँ
जो सुनना है
बस उतना ही कहता हूँ
इतना हुनर सीखने भर में
घड़ों पसीना छोड़ दिया...

मुल्ला-पंडित
गिर-गिर पड़ते
पर दीवाना नहीं गिरा
चाहे जितना
नशा रहा हो
पर पैमाना नहीं गिरा
इसीलिए तो
काशी, मथुरा
और मदीना छोड़ दिया...

चाहे जितनी प्यास रही हो
झुककर सागर
नहीं छुआ
जिसमें गहराई
कम देखी
उसका क़तरा नहीं पिया
मैखाने का हमने करके
चौड़ा सीना छोड़ दिया...

- स्व. प्रमोद तिवारी जी

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