Farhat ehsas at hirdu kavyashala

आज रू-ब-रू होते है उर्दू अदब के मशहूर - ओ - मारूफ़ शायर जनाब फ़रहत एहसास साहब से...पेश - ए - ख़िदमत है एहसास साहब की एक बेहद ख़ूबसूरत सी ग़ज़ल उनके चाहने वालों के नाम-
फ़रहत एहसास
बदन और रूह में झगड़ा पड़ा है।
कि हिस्सा इश्क़ में किस का बड़ा है।।
हुजूम-ए-गिर्या से हूँ दर-ब-दर मैं,
कि घर में सर तलक पानी खड़ा है।।
बुलाती है मुझे दीवार-ए-दुनिया,
जहाँ हर जिस्म ईंटों सा जड़ा है।।
झिंझोड़ा है अभी किस ज़लज़ले ने,
ज़मीं से ज़िंदगी सा क्या झड़ा है।।
फ़क़त आँखें ही आँखें रह गई हैं,
कि सारा शहर मिट्टी में गड़ा है।।
तुम्हारा अक्स है या अक्स-ए-दुनिया,
तज़ब्ज़ुब सा कुछ आँखों में पड़ा है।।
मैं दरिया जाँ बचाता फिर रहा हूँ,
कोई साहिल मिरे पीछे पड़ा है।।
ज़रा सी शर्म भी कर फ़रहत-'एहसास',
बदन तेरा अजब चिकना घड़ा है।।
- फ़रहत एहसास

हिर्दू काव्यशाला से जुड़ें:
शिवम् शर्मा गुमनाम, सह-संस्थापक
संतोष शाह, सह-संस्थापक
रश्मि द्विवेदी, अध्यक्षा
संपर्क सूत्र- 8896914889, 8299565686, 7080786182
ई-मेल- hirdukavyashala555@gmail.com
वेबसाइट- www.hirdukavyashala.com
ब्लॉगर- www.hirdukavyashala.blogspot.in

Comments

Popular posts from this blog

lakho sadme dhero gham by azm shakiri

Bahut khoobsurat ho tum by tahir faraz at hirdu

Agnivesh shukla at hirdu kavyashala