Gyanendra mohan gyaan at hirdu kavyashala
आज मिलते हैं सुप्रसिद्ध कवि एवं शायर ज्ञानेंद्र मोहन ज्ञान जी से... आप वर्तमान में आयुध निर्माणी नालंदा में वरिष्ठ हिंदी अनुवादक के रूप में कार्यरत हैं... आसान शब्दों में बड़ी - बड़ी बात कह सकने की ख़ूबी ज्ञान जी को रचनाकारों के बीच एक अलग पहचान देती है... पेश - ए - ख़िदमत हैं ज्ञान साहब की दो ग़ज़लें-
ग़ज़ल 1-
मुझको हसीन ख़्वाब दिखाने का शुक्रिया।
फिर उसके बाद मुझको भुलाने का शुक्रिया।
मौक़ापरस्त जो भी थे सब खुलके आ गए,
ऐ मुश्किलों! ये साथ निभाने का शुक्रिया।
मुझको यक़ीन था कि निभा लेगा तू मुझे,
मेरे भरम को तोड़ के जाने का शुक्रिया।
थक हार के मैं बैठ चुका था वो आ गया,
उम्मीद के चराग जलाने का शुक्रिया।
वो 'ज्ञान' कह गया था दुबारा न आऊंगा,
फिर से उसी का लौट के आने का शुक्रिया।
ग़ज़ल 2-
आपके चेहरे पे इतनी सिलवटें अच्छी नहीं।
हर किसी से बेवजह की नफ़रतें अच्छी नहीं।।
ठीक था कद नाप लेते दोस्त होने के लिए,
दोस्ती में इस तरह की हरकतें अच्छी नहीं।।
हौसले के साथ बढ़ कर जीत लेते ठीक था,
मार कर टंगड़ी किसी को शोहरतें अच्छी नहीं।।
सब गलत हैं, आप ही बस ठीक हैं, यह भी सही,
आपकी यह सोच मतलब सोहबतें अच्छी नहीं।।
बात बनने में लगा है वक़्त कितना याद है?
ज्ञान बेसिर-पैर की अब तोहमतें अच्छी नहीं।।
- ज्ञानेंद्र मोहन ज्ञान
हिर्दू काव्यशाला से जुड़ें:
शिवम् शर्मा गुमनाम, सह-संस्थापक
संतोष शाह, सह-संस्थापक
रश्मि द्विवेदी, अध्यक्षा
संपर्क सूत्र- 8896914889, 8299565686, 7080786182
ई-मेल- hirdukavyashala555@gmail.com
वेबसाइट- www.hirdukavyashala.com
ब्लॉगर- www.hirdukavyashala.blogspot.in
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ज्ञानेंद्र मोहन ज्ञान |
मुझको हसीन ख़्वाब दिखाने का शुक्रिया।
फिर उसके बाद मुझको भुलाने का शुक्रिया।
मौक़ापरस्त जो भी थे सब खुलके आ गए,
ऐ मुश्किलों! ये साथ निभाने का शुक्रिया।
मुझको यक़ीन था कि निभा लेगा तू मुझे,
मेरे भरम को तोड़ के जाने का शुक्रिया।
थक हार के मैं बैठ चुका था वो आ गया,
उम्मीद के चराग जलाने का शुक्रिया।
वो 'ज्ञान' कह गया था दुबारा न आऊंगा,
फिर से उसी का लौट के आने का शुक्रिया।
ग़ज़ल 2-
आपके चेहरे पे इतनी सिलवटें अच्छी नहीं।
हर किसी से बेवजह की नफ़रतें अच्छी नहीं।।
ठीक था कद नाप लेते दोस्त होने के लिए,
दोस्ती में इस तरह की हरकतें अच्छी नहीं।।
हौसले के साथ बढ़ कर जीत लेते ठीक था,
मार कर टंगड़ी किसी को शोहरतें अच्छी नहीं।।
सब गलत हैं, आप ही बस ठीक हैं, यह भी सही,
आपकी यह सोच मतलब सोहबतें अच्छी नहीं।।
बात बनने में लगा है वक़्त कितना याद है?
ज्ञान बेसिर-पैर की अब तोहमतें अच्छी नहीं।।
- ज्ञानेंद्र मोहन ज्ञान
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धन्यवाद... शिवम।
ReplyDeleteबहुत खूब.. बहुत उम्दा..
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