megha yogi at hirdu kavyashala


आज मिलते हैं गुना, मध्य प्रदेश युवा कवयित्री एवं शायरा मेघा योगी से... पेश – ए – ख़िदमत है मेघा जी की ख़ूबसूरत सी ग़ज़ल –
मेघा योगी

ग़ज़ल –
क्यों न कुछ नेक काम कर जायें;
इससे पहले कि हम गुजर जायें!

अब्र कुछ देर को ठहर जा अब;
लौट के पंछी अपने घर जायें!

इनको अक्सर कुरेद लेती हूँ;
जख्म ऐसा न हो कि भर जायें!

और अब कौन सा ठिकाना है;
उनके दामन में ही बिखर जायें!

अब भी इंसान बसते हो जिसमें;
हम भी ऐसे किसी नगर जायें!

खौफ घर में भी और बाहर भी;
बेटियाँ अब भला किधर जायें!

आज सच को बयान कर देंगे;
इस से पहले कि हम भी डर जायें!

उनको सजदे भला करे कैसे;
जो कि नजरों से ही उतर जायें!

जिनकी उजली कमीज़ है मेघा;
काश भीतर से भी निखर जायें!
  मेघा योगी

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