rajendra tiwari at hirdu kavyashala

आज आपकी मुलाक़ात कराते हैं कानपुर से देश के मशहूर - ओ - मारूफ़ शायर जनाब राजेन्द्र तिवारी साहब से ... शायरी-पसंद लोगों के लिए पेश है राजेंद्र जी एक बेहद ख़ूबसूरत सी ग़ज़ल...

श्री राजेंद्र तिवारी जी 

हमें कब हसरतों की कैद से आज़ाद करती है।
हवस कुछ भी नहीं देती है बस बरबाद करती है।। 

फ़कीरी ही उसे ख़ैरात देती है दुआओं की,
हुकूमत गिड़गिड़ाकर जब कभी फ़रयाद करती है।।

तुम्हारी प्यास है मुहताज दरिया की,समंदर की,
हमारी तश्नगी सहराओं को आबाद करती है।। 

मुहब्बत में मुसीबत है, अना दिल तोड़ देती है,
मुहब्बत में अना लेकिन बड़ी इमदाद करती है।।

अगर थामे नहीं रहती तो कब के ढह गये होते,
ये कह कर गुम्बदों की परवरिश बुनियाद करती है।।

मैं ख़ादिम हूँ,किये जाता हूँ ख़िदमत,मुझसे मतलब क्या,
कि दुनिया भूल जाती है या मुझको याद करती है।।
- राजेंद्र तिवारी
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