vaibhav paliwal at hirdu kavyashala
आज मिलते हैं कम उम्र के बड़े शायर वैभव पालीवाल से... एक अलग कैफ़ियत... एक अलग अंदाज़... वैभव की शायरी को दूसरों से अलग बनाता है... वैभव ग़ज़लगोई से ज़्यादा बेहतर शायरीबाज़ी को मानते हैं वैभव का कहना है "अगर हम शायरी पर ध्यान दें तो ग़ज़ल हमेशा आला दर्जे की होगी"... आइये लुत्फ़ लेते हैं मोहब्बत के इस नौजवान शायर की शायरी का...
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वैभव पालीवाल |
ग़ज़ल
महफ़िल में भी तन्हा करने लगती है।
याद तुम्हारी क्या क्या करने लगती है।
जब भी उसको झगड़ा करना होता है,
मुझसे बातें ज्यादा करने लगती है।
खुशियों में वो बेशक़ मुझसे दूर रहे,
पर मेरे गम साझा करने लगती है।
ज़ुल्फें बिखरा देती है वो चेहरे पर,
फिर होंठो पे बोसा करने लगती है।
खत पढ़कर के उसका इतना शर्माना,
मिलने से भी तौबा करने लगती है।
- वैभव पालीवाल
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