Gaurav trivedi at hirdu kavyashala
ग़ज़ल:
साँसें चलती हैं पर ज़िंदा थोड़ी हूँ।
ख़ुश दिखता हूँ मै ख़ुश रहता थोड़ी हूँ।।
मुझको जी कर भूल गई इतनी जल्दी?
पगली मै इंसान हूँ लम्हा थोड़ी हूँ।।
याद रखेगी जानाँ तुमको ये दुनिया,
शायर हूँ पर छोटा मोटा थोड़ी हूँ।।
दिल का ग़म धोता हूँ मैं तो दारू से,
तुमको ग़लत लगा, मैं पीता थोड़ी हूँ।।
तुम्हें भुलाकर यादों की दौलत खो दूँ?
पागल हूँ पर इतना ज्यादा थोड़ी हूँ।।
- गौरव त्रिवेदी
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