Shivam sharma gumnam at hirdu kavyashala

ग़ज़ल:
ये गुज़रा वक़्त भी गुज़रा नहीं था।
ये एसा था कभी सोचा नहीं था।।
तुम्हारी याद थी जो साथ मेरे,
मैं तन्हा हो के भी तन्हा नहीं था।।
तुम आए हो तो अब महकेगा गुलशन,
नहीं थे तुम तो ये महका नहीं था।।
मुझे थी फ़िक़्र बस अपनों से ख़ुद की,
मुझे ग़ैरों से कुछ ख़तरा नहीं था।।
नहीं थी ज़िंदगी ये ज़िंदगी तब,
वो मुझसे बात जब करता नहीं था।।
मिले थे हम सफर कितने सफर में,
मगर कोई तेरे जैसा नहीं था।।
- शिवम् शर्मा गुमनाम

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