Bolo ab geet likhu kispe

गीत:
तुमने श्रृंगार उतार दिया,
बोलो अब गीत लिखूँ किसपे।

किसको मैं चांद लिखूँ बोलो,
जब भाल तुम्हारा सूना है।
तुम बगिया के जब फूल नही,
तो व्यर्थ तुम्हे अब छूना है।
वो झील ठिठक कर सूख गई,
अब शेष बची बस काई है।
झूठे ये सब आलिंगन हैं,
झूठी झूठी अंगड़ाई है।

गठगोड़ा अपना क्षीण हुआ,
तुमको मैं मीत लिखूँ किसपे।
तुमने श्रृंगार...

बोलो प्रिय वचन विसार गयीं,
पग साथ धरोगी राह अगम।
जब लाज की चूनर सरक गयी,
तब कौन शेष है प्रिय प्रियतम।
चूड़ी कंगन बिछुए पायल,
ये सब मेरे परिचायक थे।
ये उत्तम है सब उतर गए,
ना तुम इन सबके लायक थे।

अनुबंध पत्र जब फाड़ दिए,
मैं अपनी जीत लिखूँ किसपे।
तुमने श्रृंगार...

क्या क्या मुझसे वापस लोगे,
लो  वापस ले लो चुम्बन सब।
बोलो क्या तुम ले पाओगे?
अनभिज्ञ प्रीति आलिंगन सब।
आशीष मिले जो पूतों के,
क्या मेरा भाग निकालो गे।
मुझसे तुम होगे प्रथक तभी,
जब उल्टे फेरे डालोगे।

जब वंशी ही दो फाड़ हुई
तो किसपर मैं संगीत लिखूँ।
तुमने श्रृंगार...
-अभिषेक औदीच्य

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