Gam uthane ka hausla bhi nahin - hirdu kavyashala

ग़ज़ल: मशहूर युवा शायर अक्स समस्तीपुरी

ग़म उठाने का हौसला भी नहीं।
और इसके बिना मज़ा भी नहीं।
साथ तेरा अज़ाब है मुझको,
चाहिए कोई दूसरा भी नहीं।
तुम भला क्यों उदास रहने लगे,
तुमको तो यार इश्क़ था भी नहीं।
इश्क़ की राह से गुज़रना पड़ा,
और था कोई रास्ता भी नहीं।
उनको दरअस्ल दूर जाना था,
मसअला इतना था बड़ा भी नहीं।
ख़ुद समझ लो मेरे लिए क्या थे,
आज से तुमको बद्दुआ भी नहीं।
- अक्स समस्तीपुरी

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