Harman dinesh - hirdu kavyashala
ग़ज़ल: हरमन दिनेश
हिज्र में जो वस्ल का एहसास है , वो शाइरी है।
जो नहीं हो कर भी दिल के पास है वो शाइरी है।।
सुन सको तो शाइरी है पत्तियों की सरसराहट,
दूर तक फैली हुई जो घास है, वो शाइरी है।।
दिल ज़माने के तमाशों में कभी लग ही न पाया,
एक ही फ़न है जो दिल को रास है, वो शाइरी है।।
राम के बचपन से ले कर मृत्यु तक की दास्ताँ में,
वो जो चौदह साल का वनवास है, वो शाइरी है।।
ज़िन्दगी है प्यास की बाहों में सिमटा एक दरिया,
और जो दरिया के लबों पर प्यास है वो शाइरी है।।
तेरी तस्वीरें, तेरी पाज़ेब और तेरा तसव्वुर,
यानी तेरा जो भी मेरे पास है, वो शाइरी है।।
तेरा 'हरमन' आज भी एक आम सा लड़का है जानां,
और इस लड़के में गर कुछ खास है, वो शाइरी है।।
- हरमन दिनेश
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