Teri maang taron se bhar jaunga main by shivam sharma gumnam

नज़्म: तेरी मांग तारों से भर जाऊँगा मैं... - शिवम् शर्मा गुमनाम
शिवम् शर्मा गुमनाम (संस्थापक एवं सचिव)
(हिर्दू फाउंडेशन)

बिछड़ कर के तुझसे किधर जाऊँगा मैं।
जिधर जाएगा तू उधर जाऊँगा मैं।।
अगर रुक्मणी तू तो घनश्याम बन के,
तेरी मांग तारों से भर जाऊँगा मैं।। तेरी मांग...
ये आँखों में काजल, ये होंठों पे शबनम।
तड़पते बदन दो, ये बारिश का मौसम।।
लगे आज हद से गुज़र जाऊँगा मैं...तेरी मांग...
ये ज़ुल्फ़ें, ये बिंदी, ये फूलों का गजरा।
लगे चाँद के जैसा तेरा ये मुखड़ा।।
तेरी बन के ख़ुशबू बिख़र जाऊँगा मैं...तेरी मांग...
तेरा सांवला रंग, जैसे हों बादल।
तुझे जो भी देखे वो जाए पागल।।
तुझे देख कर ही संवर जाऊँगा मैं...तेरी मांग...
तेरे होने से ज़िंदगी ज़िंदगी है।
अगर साथ हो तू, तो फिर क्या कमी है।।
तेरा साथ पा कर निखर जाऊँगा मैं...तेरी मांग...
तू ही आख़िरी और पहली मोहब्बत।
मेरी ज़िंदगी तू, है मेरी ज़रूरत।।
अगर तुझसे बिछड़ा तो मर जाऊंगा मैं...तेरी मांग...
तू आया जो महफ़िल में नूर आ गया है।
तेरा ही नशा नज़्म पर छा गया है।।
तेरा नाम 'गुमनाम' कर जाऊँगा मैं।।...तेरी मांग...
- शिवम् शर्मा गुमनाम

आप भी अपनी रचनाएँ हमें भेज सकते हैं...
ई-मेल : hirdukavyashala555@gmail.com

हिर्दू फाउंडेशन से जुड़ें:
: वेबसाइट : इंस्टाग्राम : फेसबुक :

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:
शिवम् शर्मा गुमनाम (संस्थापक एवं सचिव)
रश्मि द्विवेदी (अध्यक्षा)
संतोष शाह (संस्थापक सदस्य)
संपर्क सूत्र : 7080786182, 9889697675

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

lakho sadme dhero gham by azm shakiri

Bahut khoobsurat ho tum by tahir faraz at hirdu

Agnivesh shukla at hirdu kavyashala