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Showing posts from December, 2018

Sukant tiwari at hirdu kavyashala

:ग़ज़ल - 1: उसे दिल में रखकर हिफाज़त करूंगा। मोहब्बत नहीं मैं इबादत करूँगा।। अभी तक तो ख़ामोश हूँ अब्र सा पर, जो बरसा कभी तो क़यामत करूँगा।। करूँगा हुकूमत की मैं रहनुमाई, मुनासिब है ...

Humble tribute to satyaprakash sharma

नहीं रहे कानपुर के मशहूर ग़ज़लगो आ. सत्य प्रकाश शर्मा जी ...आइये शर्मा जी की ग़ज़लों के माध्यम से उन्हें याद करते हैं... मगर पहले कुछ श्रद्धा सुमन... ::शोक संवेदनाएं:: बहुत ही अफ़सोस है क...

Ek shayar ne kya bana dala

ग़ज़ल: एक शायर ने क्या बना डाला... एक शायर ने क्या बना डाला। इश्क़ को वाक़या बना डाला।। इक ख़ुदा के बनाये लोगों ने, अपना अपना ख़ुदा बना डाला।। लोग सुनते हैं वाह करते हैं, हमने ग़म को मज़ा ...

Magar paikar hoon main ilmon hunar ka

ग़ज़ल: डा. कृष्ण कुमार नाज़ साहब मुसाफ़िर हूँ इक अनजानी डगर का। कुछ अंदाज़ा नहीं होता सफर का।। मिरे ख़्वाबों मेरी नींदें सजा दो, कि मैं जागा हुआ हूँ उम्र भर का।। हैं मुझमें खामियाँ...