Humble tribute to satyaprakash sharma
नहीं रहे कानपुर के मशहूर ग़ज़लगो आ. सत्य प्रकाश शर्मा जी...आइये शर्मा जी की ग़ज़लों के माध्यम से उन्हें याद करते हैं... मगर पहले कुछ श्रद्धा सुमन...
::शोक संवेदनाएं::
बहुत ही अफ़सोस है कि हमारे प्रिय मित्र भाई सत्य प्रकाश शर्मा जी हमारे बीच नहीं रहे। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे...
"इतने पिए अशआर के मदहोश हो गया,
अफ़सोस सद अफ़सोस वो ख़ामोश हो गया।।"
- डा. अंसार क़म्बरी जी, संरक्षक, हिर्दू
सत्यप्रकाश शर्मा जी कानपुर की एक साहित्यिक पहचान थे...बोलचाल की भाषा में सरल-सहज ढँग से ग़ज़ल कहने वाले.उनका व्यक्तित्व भी उनकी ग़ज़लों जैसा ही था...कानपुर के ग़ज़लगो कवियों की कोई भी सूची उनके बिना अधूरी ही रहेगी...
"दुनिया का राह छोड़ के राही चला गया,
फिर से क़लम का एक सिपाही चला गया।।"
- डा.कमलेश द्विवेदी, संरक्षक, हिर्दू
काश कोई कह दे ये सब झूठ है...प्रमोद दादा के न रहने के सदमे का असर कम भी नहीं हुआ था और आज सत्य प्रकाश दादा हमें छोड़ के चले गए... आप बहुत याद आएँगे दादा...
"मुस्कुराकर विदा करो इनको,
लौट के अब कभी न आएँगे।।"
- शिवम् शर्मा गुमनाम, संस्थापक एवं सचिव, हिर्दू
विश्वास नहीं होता आदरणीय सत्य प्रकाश दादा नहीं रहे... दुःखद काश ये झूठ होता...
"रौनकें सब चली गईं देखो,
छोड़ के दुनिया क्या गया कोई।।"
- रश्मि द्विवेदी, अध्यक्षा, हिर्दू
सत्य प्रकाश शर्मा जी का इस तरह अचानक चले जाना दिल दुखा गया...
मायूसी कुफ़्र न होती तो हम
आज बहुत मायूस हुये होते
- असलम राशिद, मशहूर शायर
दुःखद!!! अभी जानकारी प्राप्त हुई कि कानपुर के गौरव आ. सत्य प्रकाश शर्मा जी हमारे बीच नहीं रहे... विनम्र श्रद्धाजंलि
- डा. राजीव मिश्र, सचिव, एस. आर. एफ.
कानपुर के लोकप्रिय कवि श्री सत्य प्रकाश शर्मा जी के निधन की सूचना, साहित्य जगत के लिए अपूर्णनीय क्षति की द्योतक है...
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।
"यह कौन उठ चला है,कि रौनक चली गई,
महफ़िल में रह गई हैं ये शम्ऐं बुझी हुईं।।"
- इशरत सग़ीर इशरत, शायर
::ग़ज़ल : 1::
अपने चेहरे का आब मांगेंगे।
वक्त से हम जवाब मांगेगे।।
जिसने दी है ये तिशनगी हमको,
हम उसी से शराब मांगेगे।।
और हैं किसके पास ताबीरें,
और हम किससे ख्वाब मांगेंगे।।
भूल ज़ाते हैं दर्द देकर सब,
आप किस से हिसाब मांगेगे।।
दोस्ती का असर ये होगा, अब,
हमसे वाइज़ शराब मांगेंगे।।
::ग़ज़ल:2::
है हकीकत क़यास थोड़ी है।
अब वो इतना उदास थोड़ी है।।
तुम जो चोला पहन के निकले हो,
ये तुम्हारा लिबास थोड़ी है।।
तश्नगी पाक है हमारी, ये,
कोई झूटा गिलास थोड़ी है।।
आँख उट्ठे न उस तरफ कोई,
हुक्म है इल्तिमास थोड़ी है।।
कौन पीता है रोज़ खुश होकर,
आंसुओं में मिठास थोड़ी है।।
अब तो बतलाओ मेरे बारे में,
अब कोई आस-पास थोड़ी है।।
- स्मृतिशेष सत्य प्रकाश शर्मा
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