Tabassum ashq at hirdu kavyashala
ग़ज़ल : तबस्सुम अश्क़
रूह खाली है चश्मे तर खाली।
जिस्म है मेरा किस क़दर खाली।।
थाम कर हाथ अपने साए का,
फिरती रहती हूँ दर बदर खाली।।
छोड़ दो साथ मेरे तन्हाई,
और कर दो ये पूरा घर खाली।।
तुम भी हो जाओगे सुनो बेघर,
दिल मेरा हो गया अगर खाली।।
तू कहाँ है खबर नहीं मुझको,
मिल रही है तेरी खबर खाली।।
अश्क़ बचपन कहाँ गया तेरा,
उम्र करती रही सफ़र खाली।।
- तबस्सुम अश्क़
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