Aks samastipuri at hirdu kavyashala
ग़ज़ल: मुझे छोड़ के जाने वाले...
हो भला तेरा, मुझे छोड़ के जाने वाले।
नाज़ करते हैं मेरा नाज़ उठाने वाले।
अब मेरी चीख़ सुनाई नहीं देती है क्या,
मेरी हर आह पे सीने से लगाने वाले।
दिल की बेचैनियों का शोर न थमने वाला,
और ख़ामोश हैं आवाज़ लगाने वाले।
कितना बिखरा हूँ मैं अंदर से तुझे इल्म नहीं,
मेरे कमरे को क़रीने से सजाने वाले।
कैसे दोराहे पे वो साथ मेरा छोड़ गए,
मोड़ दर मोड़ मुझे राह दिखाने वाले।
रौशनी के ये सताए हुए दीवाने लोग,
हाथ चूमेंगे तेरा रात बनाने वाले।
दख़्ल-अंदाज़ी तेरी और करे है नज़दीक,
और तरक़ीब कोई ढूंढ ज़माने वाले।
- अक्स समस्तीपुरी
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