Shivam Sharma gumnam at hirdu kavyashala

शिवम् शर्मा गुमनाम
संस्थापक 
ग़ज़ल: और आख़िर में ख़ुदकुशी कर ली...
हम ने जिस दिन से आशिक़ी कर ली।
बद से बदहाल ज़िंदगी कर ली।
पहले इज़हार ए इश्क़ हमने किया,
और आख़िर में ख़ुदकुशी कर ली।।
मिन्नतें की न हमनें सूरज से,
ख़ुद जले और रौशनी कर ली।।
दोस्तों से सबक लिया हमने,
दुश्मनों से ही दोस्ती कर ली।
हम थे गुमनाम दिलजले शायर,
अपने अश्क़ों से शाइरी कर ली।।
ग़ज़ल: शायरी बेमिसाल देता है...
जब वो उसका ख़्याल देता है।
शायरी बेमिसाल देता है।।
उसकी ज़ुल्फ़ें और आँख का काजल,
जान मुश्किल में डाल देता है।।
जीत मेरी है उसकी मुट्ठी में,
बस वो सिक्का उछाल देता है।।
है नहीं जो मेरे मुक़द्दर में,
फिर क्यूँ उसका मलाल देता है।।
शेर गुमनाम जब सुनाता है,
तो कलेजा निकाल देता है।।
- शिवम् शर्मा गुमनाम
हिर्दू से जुड़ें:
शिवम् शर्मा गुमनाम, संस्थापक एवं सचिव
रश्मि द्विवेदी, अध्यक्षा
वैभव पालीवाल, उपाध्यक्ष
संपर्क सूत्र: 7080786182, 9889697675

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