Vyanjana pandey at hirdu kavyashala
ग़ज़ल: पागल था या दीवाना था...
शायद वो पागल था या दीवाना था।
दिल की बातों से वो तो बेगाना था।।
इश्क करेगा, तौबा-तौबा ज़िद उसकी,
बिन खोये ही उसको सब कुछ पाना था।।
चौखट दिल की पार नहीं कर पाया वो,
जिस्म तलक बस उसका आना-जाना था।।
सौदागर को रही मुनाफे की ख्वाहिश,
कर पाया कब दिल का वो शुकराना था।।
था आसान कहाँ मैं से हो जाना हम,
खुद के हाथों खुद को रोज लुटाना था।।
इश्क खुदा की नेमत है व्यापार नहीं,
मुश्किल उसको इतना सा समझाना था।।
छूट गया उस पार नहीं सँग आया वो,
खत्म यूँ ही होना उसका अफसाना था।।
- व्यंजना पाण्डेय
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