Tumhe ab bhulna chahta hu
गीत: तुम्हें अब भूल जाना चाहता हूं...
लग रहा है साथ अपना इस जनम संभव न होगा,
इसलिए मैं खुद तुम्हें अब भूल जाना चाहता हूं।
हो सके तो माफ़ करना, पीर तुमको दे रहा हूं।
तय हुआ था खिलखिलाना,नीर तुमको दे रहा हूं।
तुम जरा रो कर ,संभल जाना, कभी मत याद करना,
मैं तुम्हारे नाम का दीपक जलाना चाहता हूं।
इसलिए मैं खुद तुम्हें अब भूल जाना चाहता हूं।
मैं अभागा झेल लूंगा, सब विरह की वेदनाएं।
तुम नई दुनियाँ बसाओ, दे रहा शुभकामनाएं।
मांग में सिंदूर भरकर नव वधू बनना किसी की,
मैं रुआँसी शाम में दो गीत गाना चाहता हूं।
इसलिए मैं खुद तुम्हें अब भूल जाना चाहता हूं।
- वैभव पालीवाल
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