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Showing posts from September, 2018

Suddhant deekshit at hirdu kavyashala

ग़ज़ल: चाह कर अब हो नहीं पाउँगा मिर्ची की तरह। घेर रक्खा है मुझे दुनिया ने चींटी की तरह।। घूरती और नोंचती रहती है मुझको हर निगाह, बन गया हूँ मैं हक़ीक़त कह के लड़की की तरह।। जिस्म त...

Shivam sharma gumnam at hirdu kavyashala

ग़ज़ल: ये गुज़रा वक़्त भी गुज़रा नहीं था। ये एसा था कभी सोचा नहीं था।। तुम्हारी याद थी जो साथ मेरे, मैं तन्हा हो के भी तन्हा नहीं था।। तुम आए हो तो अब महकेगा गुलशन, नहीं थे तुम तो ये म...

Gaurav trivedi at hirdu kavyashala

ग़ज़ल: साँसें चलती हैं पर ज़िंदा थोड़ी हूँ। ख़ुश दिखता हूँ मै ख़ुश रहता थोड़ी हूँ।। मुझको जी कर भूल गई इतनी जल्दी? पगली मै इंसान हूँ लम्हा थोड़ी हूँ।। याद रखेगी जानाँ तुमको ये ...

Hameed kanpuri at hirdu kavyashala

ग़ज़ल: कुछ मुहब्बत वफा की निशानी तो है। उसके  चेहरे  पे अब  शादमानी तो है। तीरगी  सब जहां  की  मिटानी  तो  है। रौशनी   से   धरा   जगमगानी  तो  है। आबरू   शायरी  की  बचानी  त...

hindi diwas special

हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं... सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा… हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसताँ हमारा।। ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में। समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा।। सारे... परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का। वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा।। सारे... गोदी में खेलती हैं, उसकी हज़ारों नदियाँ। गुलशन है जिनके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा।। सारे... ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको। उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा।। सारे... मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना। हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा।। सारे... यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा, सब मिट गए जहाँ से। अब तक मगर है बाक़ी, नाम-ओ-निशाँ हमारा।। सारे... कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी। सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।। सारे... 'इक़बाल' कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में। मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा।। सारे... - मोहम्मद इक़बाल हिन्दी साहित्य का इतिहास : हिन्दी साहित्य का इतिहास  अत्यंत विस्तृत व प्राचीन है।   यह कहना ही ठीक होगा कि वैदिक भाषा ही...