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Showing posts from November, 2018

Kal fursat se baat karenge

गीत - कल फ़ुर्सत से बात करेंगे... गीतकार- डा. कमलेश द्विवेदी, कानपुर आज ज़रा कुछ जल्दी से हैं कल फ़ुर्सत से बात करेंगे... साथ बितायेंगे दिन सारा साथ तुम्हारे रात करेंगे... ऐसा कहते-कहत...

Harman dinesh - hirdu kavyashala

ग़ज़ल: हरमन दिनेश हिज्र में  जो वस्ल का एहसास है , वो शाइरी है। जो नहीं हो कर भी दिल के पास है वो शाइरी है।। सुन सको तो शाइरी है पत्तियों की सरसराहट, दूर तक फैली हुई जो  घास है,   वो श...

Teri maang taron se bhar jaunga main by shivam sharma gumnam

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नज़्म:  तेरी मांग तारों से भर जाऊँगा मैं... -  शिवम् शर्मा गुमनाम शिवम् शर्मा गुमनाम   (संस्थापक एवं सचिव) ( हिर्दू फाउंडेशन ) बिछड़ कर के तुझसे किधर जाऊँगा मैं। जिधर जाएगा तू उधर जाऊँगा मैं।। अगर रुक्मणी तू तो घनश्याम बन के, तेरी मांग तारों से भर जाऊँगा मैं।। तेरी मांग... ये आँखों में काजल, ये होंठों पे शबनम। तड़पते बदन दो, ये बारिश का मौसम।। लगे आज हद से गुज़र जाऊँगा मैं... तेरी मांग... ये ज़ुल्फ़ें, ये बिंदी, ये फूलों का गजरा। लगे चाँद के जैसा तेरा ये मुखड़ा।। तेरी बन के ख़ुशबू बिख़र जाऊँगा मैं... तेरी मांग... तेरा सांवला रंग, जैसे हों बादल। तुझे जो भी देखे वो जाए पागल।। तुझे देख कर ही संवर जाऊँगा मैं... तेरी मांग... तेरे होने से ज़िंदगी ज़िंदगी है। अगर साथ हो तू, तो फिर क्या कमी है।। तेरा साथ पा कर निखर जाऊँगा मैं... तेरी मांग... तू ही आख़िरी और पहली मोहब्बत। मेरी ज़िंदगी तू, है मेरी ज़रूरत।। अगर तुझसे बिछड़ा तो मर जाऊंगा मैं... तेरी मांग... तू आया जो महफ़िल में नूर आ गया है। तेरा ही नशा नज़्म पर छा गया है।। तेरा नाम 'गुमनाम' कर जाऊँगा...

Mukesh alam - hirdu kavyashala

मशहूर शायर और बॉलीवुड गीतकार मुकेश आलम साहब ग़ज़ल: सामने मेरे है दुनिया ज्यों समंदर रेत का। और सब की ज़िंदगी जैसे बवंडर रेत का।। रेत की दीवार के साए में बैठा आदमी, और साए पर भर...

Gam uthane ka hausla bhi nahin - hirdu kavyashala

ग़ज़ल: मशहूर युवा शायर अक्स समस्तीपुरी ग़म उठाने का हौसला भी नहीं। और इसके बिना मज़ा भी नहीं। साथ तेरा अज़ाब है मुझको, चाहिए कोई दूसरा भी नहीं। तुम भला क्यों उदास रहने लगे, तुमको ...

Us shahar ke sooraj ka kaise fir geeto me abhinandan ho

सुप्रसिद्ध कवि/गीतकार बनज कुमार "बनज" :: गीत :: जिस शहर की धूप उदास लगे और छाया तक में क्रंदन हो... उस शहर के सूरज का कैसे फिर गीतों में अभिनन्दन हो... हर मोड़ पे तख्ती टंगी हुई है, जाने क...

Papau naak lihis katvaaye

डॉ. कमलेश द्विवेदी (सुप्रसिद्ध हास्य व्यंग्यकार/कवि/गीतकार) हास्य-व्यंग्य - कुंठित कानपुरी और ख़फ़ा ख़ैराबादी कल अपने ही शहर की एक कवि गोष्ठी में एक सज्जन ने  मैराथन मुशा...

Krishna bihari noor at hirdu kavyashala

ग़ज़ल: मरहूम अंतर्राष्ट्रीय शायर कृष्ण बिहारी नूर साहब ये लम्हा ज़ीस्त का बस आख़िरी है और मैं हूं। हर एक सम्त से अब वापसी है और मैं हूं।। हयात जैसे ठहर सी गयी हो ये ही नहीं, तमा...